मौलिक नीति

सामाजिक और आत्म जागरूकता

सामाज की स्वजागृति के लिए अनुग्रह्पूर्ण दृष्टि से सेवा सदन स्थापना की गई है।     जिससे की समाज के प्रत्येक व्यक्ति अपने मौलिक अधिकारों एवं कर्तव्यों के प्रति जागरूक रहते हुए परस्पर सहयोग की भावना रखें।समाज में जागरूकता फ़ैलाने के लिए विभिन्न कार्यक्रमों का आयोजन, साप्ताहिक एवं मासिक पत्रिका का प्रकाशन एवं सरकार की कल्याणकारी योजनाओं में सहायक होकर उन्हें आगे बढ़ाना।

हमारे जागरण अभियान

सेवा सदन अपने सम्बद्ध एनजीओ एवं स्वैच्छिक संगठनों के साथ मिलकर शिक्षा, पर्यावरण, स्वास्थ्य एवं विकाश से संबंधित क्षेत्रो में अनुसंधान कर डेटा व जानकारी एकत्रित करते हैं। इस दौरान पाई गई सामाजिक समस्याओं पर चर्चा कर उचित निराकरण किया जाता है। जिसमें से कुछ कार्य इस प्रकार है:

  1. स्वास्थ्य एवं अध्ययन में कमजोर छात्रों के हित में कार्य करना।
  2. अपने क्षेत्र के सामाजिक मुद्दों को सुनना तथा उन्हें सुलझाने की रणनीति तैयार करना।
  3. लोगों को दूषित वातावरण में रहने के दुष्परिणाम के बारे में वीडियो, पम्फलेट व अन्य माध्यमों से अवगत कराना।
  4. नजदीकी चिकित्सालयों, औषधालयों एवं विद्यालयों का निरीक्षण करना।
  5. सार्वजनिक बैठकों का आयोजन कर लोगों की समस्याओं को सुनना व उनका निदान करना।
  6. लोगों में सद्कार्यों के लिए परस्पर सहयोग की समझ पैदा करना, जिससे कि सुखद व स्वस्थ वातावरण का निर्माण हो सके।
  7. लोगों को उनके मौलिक अधिकारों व कर्तव्यों के प्रति जागरूक करने के लिए नुक्कड़ नाटक सहित अन्य कार्यक्रमों का आयोजन करना।
  8. किसानों को जैविक खेती के लिए प्रोत्साहित करते हुए सरकार द्वारा चलाई जा रही लाभकारी योजनाओं से अवगत कराना।
  9. प्रत्येक व्यक्तियों व समुदायों को सम्मान पूर्वक भारत के गरिमामयी इतिहास से अवगत कराते हुए राष्ट्रीय उत्सवों को मनाकर नई ऊर्जा का संचार करना।

जनहित में ग्राम सेवक, ग्राम पंचायत एवं अन्य सम्बंधित राज्य व केंद्र सरकार की कल्याणकारी योजनाओं का लाभ पात्रों को उपलब्ध करवाना। सामाजिक एवं आत्म जागरण को समर्पित अपने जागरण कार्यक्रमों द्वारा प्रत्येक व्यक्ति में आपसी भाईचारे व समानता का भाव पैदा करना।

लोगों को समाजिक उत्तरदायित्वों को निभाने सरकार द्वारा दिए जाने वाले लाभ को उठाने के लिए प्रेरित करना तथा किसी के द्वारा ठगी का शिकार न हों, इसके लिए सचेत करना। सामाजिक जिम्मेदारियों के निर्वहन के द्वारा ही सभ्य व प्रदूषणमुक्त समाज की स्थापना संभव है।