निराश्रित गौशालाओं में गौ गोबर/गौमूत्र से बनेगी दवाइयां,जैविक कीट नाशक व जैविक खाद-- चौ मंगल सिंह
गाजियाबाद,मंगलवार,21-01-2020 को गौ माताओं के संरक्षण एवंम जैविक खेती के प्रशिक्षण हेतु कार्यशाला का आयोजन किया गया जिसमें किसानों द्वारा प्रयोग किए जाने वाले कीटनाशकों पर पूर्णत: प्रतिबंध लगाने,कृषि, किसान, गौशाला,गोबर,गोमूत्र से संबंधित विषयों पर विशेष चर्चा में कृषि अनुसन्धान परिषद (भारत सरकार) के अध्यक्ष आदरणीय विकास गुप्ता जी ने सरकार द्वारा उठाये जा रहे कदमों पर विस्तार से प्रकाश डाला,इस मौके पर उन्होंने बताया कि जब से भाजपा की सरकार आई है तब से कृषि की उपज में कई गुना ग्रोथ हुई है, सरकार ने गौसंरक्षण के लिये गौशालाओं का निर्माण कराया है आगे भी काफी कार्य योजनाएं है जिन पर कार्य करना शेष है
इस मौके पर सेवा सदन के महा मंत्री चौ. मंगल सिंह जी ने बताया कि आज के परिवेश में हमारे देश का किसान फसलों खतरनाक रासायनिक कीटनाशकों जैसे कि मोनोकरप्टोफोस,ट्राई जोफॉस फोस्फोमी डॉन (जोकि दूसरे सैकड़ों देशों में बेन हैं) कीटनाशकों का प्रयोग बहुत बड़ी तादात में कर रहा है जिस का प्रतिकूल प्रभाव हमारे स्वास्थय पर पड़ रहा है,हमारे देश में कृषि रोगों ओर खरपतवारों को कीटनाशकों से खत्म करके अनाज सब्जियों,फल, फूल ओर वनस्पतियों की सुरक्षा करने के नाम पर कीटनाशकों ओर खतरनाक रसायनों का प्रयोग करने के बावजूद कम से कम पांच से दस प्रतिशत कीट इन खतरनाक कीटनाशकों से भी बच जाते हैं ओर इनसे प्रतिरोधक क्षमता हासिल कर लेते हैं ऐसे प्रतिरोधी कीट धीरे धीरे इसी क्षमता वाले कीटों को जन्म देने लगते हैं जिन्हें समाप्त करने के लिए ओर अधिक विषैले कीट नाशकों का प्रयोग करना पड़ता है किसान अपनी फसलों जैसे टमाटर,आलू गोभी सेब सन्तरे चीकू,गेंहू चावल,गन्ना जैसे खाद्य पदार्थों पर इन जहरीले रसायनों का छिड़काव करता है तो इसके घातक तत्व फल ,सब्जियों के बीजों तक में प्रवेश कर जाते हैं, इन कीटनाशकों की बहुत बड़ी मात्रा मिट्टी पानी व वातावरण की हवा में भी घुल मिल जाती है, जिस से हम जाने अनजाने किसी न किसी रूप में में जहर का सेवन करते रहते हैं,यह जहर हमारे शरीर से पसीने,मलमूत्र द्वारा बाहर नही निकलता बल्कि हमारी कोशिकाओं में फ़ैल कर लाइलाज रोगों का जैसे केंसर,बांझपन, डायरिया,दमा,अल्सर,त्वचा रोग आदि को जन्म देता है,स्वस्थ समाज के निर्माण के लिए उपरोक्त कीटनाशकों का उत्पादन व प्रयोग पूर्णतह प्रतिबन्धित होना चाहिए।
इस मौके पर डॉ शिवांगी कौशिक ने अध्यक्ष महोदय से प्रश्न किया कि हमारी सरकार ने गौशालाएं बनाई हैं बहुत अच्छी बात है परंतु गायों के खाने व रख रखाव के लिए सरकार ने तीस रुपये प्रति दिन देती है मगर गाय का प्रति दिन का खर्चा सौ-से एक सो बीस रुपये तक का आता है ओर जो पैसा सरकार देती है वो भी कई कई महीने बाद मिलता है पैसे के अभाव में गायों की हालत दिन पर दिन खराब होती जा रही है,इस विषय पर अध्यक्ष महोदय चुप्पी साध गए ,कोई जबाव ही नही दिया,चर्चा को आगे बढाते हुवे आदरणीय प्रमोद गोयल जी ने कहा कि यदि निराश्रित गौशालाओं में संसाधन जुटा कर गौ गोबर व गौमुत्र से दवाइयां , कीट नाशक व जैविक खाद बनाकर किसानों को दिया जाए तो गौशालाओं की आमदनी बढ़ जाएगी और किसी के अनुदान की आवश्यकता ही नही पड़ेगी , जैविक खाद से उत्तपन्न सब्जियाँ , व अनाज आम जनता को खाने के लिए मिलेगा तो स्वास्थ्य समाज का निर्माण होगा,अन्त में डॉ ज्ञानेंद्र जी ने कुछ उत्पाद भी दिखाए जो कि गौमूत्र से निर्मित किये गए थे,इस मौके पर कर्नल सुधीर चौधरी जी ने कहा कि हमें कुछ गौशालाओं का अध्ययन करना चाहिए ताकि गौ गोबर,व गौमुत्र से बने उत्पादों की जानकारी मिल सके ओर किसानों को बताया जा सके।
इस मौके पर विशेष रूप से रेखा शिशोदिया,मीनू मल्होत्रा,रचना सतीश गर्ग,सज्जन गोयल, कमलेश कुमार,कैलाश जी,के सी गोयल,जगवीर सिंह,अनिल चौधरी,लोकेन्द्र जी नवनीत तोमर ,अजय सिंह,श्रवण गुप्ता आदि मौजूद रहे।
सविता शर्मा (ब्यूरोचीफ एवंम मीडिया प्रभारी )राष्ट्रीय गौसदन